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दिलदार शायरी

होसला बुलँद शायरी।। न वो सपना देखो जो टूट जाये, न वो हाथ थामो जो छूट जाये, मत आने दो किसी को करीब इतना, कि उसके दूर जाने से इं...

Thursday, 17 March 2016

हिन्दी मे कहानी

  • कुए का मेंढक 

  • दो टैडपोल एक कुएं में बड़ी मस्ती से घूम रहे थे। दोनों अपनी पूंछ हिलाते और बाकी मेंढकों को अपना खेल दिखाते।उनकी शैतानियाँ देखकर एक वयस्क मेंढक बोला, “जितनी पूंछ हिलानी है हिला लो, कुछ दिन बाद ये गायब हो जायेगी।”“हा-हा-हा…”, ये सुनकर बाकी मेंढक हंसने लगे।दोनों टैडपोल फ़ौरन अपनी माँ के पास गए और उस मेंढक की बात बताते हुए बोले, “माँ, क्या सचमुच हमारी पूंछ गायब हो जायेगी?”“हाँ!”, माँ बोली, “यही प्रकृति का नियम है, जब हम पैदा होते हैं तो हमारी छोटी सी पूंछ होती है पर समय के साथ हम विकसित हो जाते हैं, ये पूंछ गायब हो जाती है और हमारे पैर निकल आते हैं, तबहम कुएं के बाहर भी जा सकते हैं, लम्बी छलांगे मार सकते हैं और स्वादिष्ट कीड़े-मकौड़े खा सकते हैं।”माँ की बात सुनकर पहले टैडपोल ने मन ही मन सोचा, “इससे पहले की पूंछ गायब हो मैं और मस्ती कर लेता हूँ, तालाब के कई चक्कर लगा लेता हूँ और एक से बढ़कर एक करतब दिखाता हूँ…”और ऐसा सोच कर वह दुबारा मस्ती से घुमने लगा।वहीँ दुसरे टैडपोल ने सोचा, “जब ये पूंछ एक दिन गायब ही हो जानी है तो इससे खेलने और मौज-मस्ती करने से क्या फायदा, जब पैर निकलेंगे तब मौज की जायेगी।”, और वह कुएं के एक हिस्से में गुमसुम सा रहने लगा।फिर एक दिन वो भी आया जब दोनों टैडपोल मेंढक में विकसित हो गए।दोनों काफी खुश थे और फैसला किया कि वे तालाब से निकल कर बागीचे में सैर करने जायेंगे।पहला मेंढक किनारे पे पहुंचा और तेजी से छलांग लगा कर बाहर निकल गया। वहीँ दुसरा मेंढक छलांग लगाने की कोशिश करता पर लगा ही नहीं पाता…मानो उसके पैरों में जान ही ना हो!वह घबराया हुआ वापस अपनी माँ के पास पहुंचा और घबराते हुए बोला, “मेरे पैर काम क्यों नहीं कर रहे…मेरा भाई तो बड़े आराम से छलांग लगा कर बाहर निकल गया पर मैं ऐसा क्यों नहीं कर पा रहा ?”माँ बोली, “बेटे, ये तुम्हारी वजह से ही हुआ है, तुमने ये सोचकर की एक दिन पूंछ चली ही जानी है उसका इस्तेमाल ही बंद कर दिया और चुप चाप कोने में पड़े रहने लगे….मेरे समझाने पर भी तुम नहीं माने और इसी वजह से तुमहरा शरीर कमजोर हो गया, जिन अंगो का विकास ठीक से होना चाहिए था वो नहीं हो पाया और अब जिन पैरों का तुम इतने दिनों से इंतज़ार कर रहे थे वे भी बेकार निकल गए….मुझे अफोस है पर अब तुम्हे अपनी पूरी ज़िन्दगी कुएं का मेंढक बन कर ही बितानी होगी!

Tuesday, 2 February 2016

दिलदार शायरी

होसला बुलँद शायरी।।



न वो सपना देखो जो टूट जाये,
न वो हाथ थामो जो छूट जाये,
मत आने दो किसी को करीब इतना,
कि उसके दूर जाने से इंसान खुद से रूठ जाये।

AJAD SINGH.hindi jok

सपने उन्ही के पूरे होते है,
,जिनके सपनो मे जान होती है
.पँखो से कुछ नही होता,ऐ मेरे दोस्त!!
 होसलो से ही तो उड़ान होती है।।

आजाद सिँह
.
दुनिया वालो ने तो बहुत कोशिश की हमे रुलाने की.
मगर ऊपर वाले ने ज़िमेदारी उठा रखी है
हमे हँसाने की.।।।

हमें न मोहब्बत मिली न प्यार मिला;
हम को जो भी मिला बेवफा यार मिला!
अपनी तो बन गई तमाशा ज़िन्दगी;
हर कोई अपने मकसद का तलबगार मिला ।।

छू ले आसमान ज़मीन की तलाश ना कर,
जी ले ज़िंदगी खुशी की तलाश ना कर,
तकदीर बदल जाएगी खुद ही मेरे दोस्त,
मुस्कुराना सीख ले वजह की तलाश ना कर.।।

पास आपके दुनिया का हर सितारा हो,
दूर आपसे गम का हर किनारा हो,
जब भी आपकी पलके खुले सामने वही हो,
जो आपको दुनिया में सबसे प्यारा हो..

देख मेरी आँखों में ख्वाब किसके हैं
,दिल में मेरे सुलगते तूफ़ान किसके हैं,
नहीं गुज़रा कोई आज तक इस रास्ते से
,फर ये क़दमों के निशान किसके हैं।।।।


Ajad singh

जाने मेरी मंजिलो के रास्ते कौनसे है
,चल तो रहे है कदम पर दायरे कौनसे है,
क्या ढूँढती है नज़र हर पल,
कौन अपने और पराये कौन से है ।

shayeri

शायरी  



कब उनकी आँखों से इज़हार होगा,
दिल के किसी कोने में हमारे लिए प्यार होगा,
 गुज़र रही हे रात उनकी याद में,
कभी तो उनको भी हमारा इंतज़ार होगा..
 ajad singh.

फनी जोक्स।


ऐक बार जीभ दांता सुं बोली राममार्यो थांकैै बत्तीस क बीच्चैै ऐकली फिरूं हूँ कदैयी जिगद मत दीज्यो दांत पाच्छो जवाब दियो म्है तो कोनी जिगदां पण तूं बोलबा को शोदो राखज्यै कठैयी म्हां बत्तीसां को खोगाऴ मत करा दीज्ये ।।


अपनी बेबसी पर आज रोना आया!दूसरों को नहीं आज मैंने अपनों को आजमाया!!हर दोस्त की तनहाइयां दूर की!लेकिन हर मोड़ पर आज खुद को अकेला पाया।।।


Monday, 1 February 2016

sadshayeri

Sad shayeri

न वो सपना देखो जो टूट जाये,
न वो हाथ थामो जो छूट जाये,
मत आने दो किसी को करीब इतना,
कि उसके दूर जाने से इंसान खुद से रूठ जाये।

Ajad singh..


जिसमे याद ना आए वो तन्हाई किस काम की
,बिगड़े रिश्ते ना बने तो खुदाई किस काम की
,बेशक इंसान को ऊंचाई तक जाना है
,पर जहाँ से अपने ना दिखें वो उँचाई किस काम की।

Ajad singh..